मैं रोयाss परदेssस में देस में भीगा माँ का प्यार हो ss -2
दुःख नेs दुःख सेs बाssत कीs, बिन चिट्ठीss बिन ताssर
हूँssss हूँssss हूँssss
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई हैss
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई हैss
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनो को याद – २
वतन की मिट्टी आssई हैsss
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई हैss
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई हैss
…………………………
ऊपर मेरा नाम लिखा है, अन्दर ये पैगाsम लिखा है
ओ परदेस को जाने वालेss लौट के फिर न आने वाले ss
सात समंदर पारs गया तू, हमको ज़िंssदा मारss गया तूs
खून के रिश्ते तोड़ गया तूss, आँख में आंssसू छोड़ गया तूs
कम खाते हैं, कम सोते हैं, बहुत जियाsदा हम रोते हैंss
चिट्ठी आई हैss
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
…………………………
सूनी हो गई शहर की गलियांs, कांटे बनss गए बाग़ की कलियाँ
कहतें हैंs साsवन के झूले, भूल गयाs तो हम नहीं भूले
तेरे बिन जब आई दिवाली, दीप नहीं दिल जले हैं ख़ाली
तेरे बिन जब आई होलीss पिचकारीs से छूटी गोली
पीपल सुना पनघट सूsना, घर शमशान का बना नमूना
फसल कटीs आsई बैसाsखी, तेsरा आsना रह गया बाकी
चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
………………………..
पहले जब तू ख़त लिखताs था, काग़ज़ में चेsहरा दीखताs था
बंद हुआs ये मेल भी अब तोss, ख़तम हुआ ये खेल भी अब तो
डोली में जब बैsठी बहनाs, रास्ता देsख रहेs थे नैsनाs
मैं तो बाsप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँss का हाsल बुरा है
तेरीs बीबी करती है सेवा सूरत से लगती है बेवाs
तूने पैsसाs बहुत कमायाss इस पैsसे नेs देस छुड़ायाs
पंछी पिंजराs तोड़ के आsजा देस पराsया छोड़ के आजा -2
आजा उम्र बहुत है छोटी, अपने घर में भी है रोटी
चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है
बड़े दिनों के बाद हम बेवतनो को याद – २
वतन की मिट्टी आई है
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है
हूँssss हूँssss हूँssss